**केवीके कर्मचारियों ने अधिकारों की मांग को लेकर आईजीकेवी में किया जोरदार प्रदर्शन, अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी**
**बिलासपुर।** इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आईजीकेवी) में सोमवार को तकनीकी कर्मचारी संघ (टीएसए) के नेतृत्व में केवीके कर्मचारियों ने अपने संवैधानिक और सेवा संबंधी अधिकारों की बहाली को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। आंदोलन के तहत विभिन्न जिलों से आए अधिकारियों और कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन तक पैदल मार्च कर जमकर नारेबाजी की और कुलपति कार्यालय का घेराव कर ज्ञापन सौंपा।
संघ के अध्यक्ष डॉ. पी.के. सांगोड़े ने कहा कि हमने वर्षों से संवाद और ज्ञापन के माध्यम से मांगें रखीं, लेकिन हर बार हमें नजरअंदाज किया गया। अब यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने ठोस कार्रवाई नहीं की, तो हम लोकतांत्रिक तरीके से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे।
संघ के उपाध्यक्ष डॉ. ईश्वरी साहू ने कहा कि आंदोलन केवल सुविधाओं के लिए नहीं, बल्कि संवैधानिक अधिकारों की पुनः स्थापना के लिए है। वहीं डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने विश्वविद्यालय अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि तकनीकी स्टाफ की सेवानिवृत्ति आयु 65 और गैर-तकनीकी के लिए 62 वर्ष तय है, लेकिन केवीके स्टाफ को 60 वर्ष में सेवानिवृत्त करना अवैधानिक है।
प्रदर्शन में डॉ. विजय जैन, डॉ. आर.एल. शर्मा, डॉ. एस.पी. सिंह, डॉ. खूबिराम साहू समेत कई प्रतिनिधियों ने सात सूत्रीय मांगपत्र कुलपति को सौंपा, जिसमें सेवा शर्तों की समतुल्यता, एनपीएस/ओपीएस की बहाली, भत्तों और पेंशन लाभों की गारंटी जैसी मांगें शामिल हैं।
आंदोलनकारी अधिकारियों ने बताया कि उन्हें पिछले 8 महीनों से वेतन नहीं मिला है और हाल ही में जबरन कम भुगतान किया गया है, जो नियमों के खिलाफ है। प्रदर्शनकारियों ने भूखे-प्यासे कुलपति कक्ष के सामने बैठकर विरोध जताया और सवाल किया कि जब वे आईजीकेवी के अधीन हैं तो उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अधीन क्यों दिखाया जा रहा है।
गुस्साए कर्मचारियों ने “कंट्रोलर हटाओ, आईजीकेवी बचाओ” जैसे नारे लगाते हुए विश्वविद्यालय के कंट्रोलर उमेश अग्रवाल पर भेदभाव और दमनात्मक कार्यशैली के आरोप लगाए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे आईजीकेवी के अधिकारी होते हुए भी अनुचित व्यवहार का सामना कर रहे हैं।
इस बीच कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने प्रतिनिधियों को चर्चा के लिए बुलाया और समस्याएं विस्तार से सुनीं। उन्होंने आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय प्रशासन मंगलवार तक मांगों पर संमत कार्यवाही पत्र देगा। संघ ने चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं हुई, तो राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन कामबंद आंदोलन शुरू किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
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