मुआवजे की लालच में रची गई मौत की झूठी कहानी: सांप के काटने का नाटक कर शासन को तीन लाख का चूना लगाने का षड्यंत्र
बिलासपुर में वकील, डॉक्टर और मृतक के परिजन शामिल मिले साजिश में, पुलिस ने किया बड़ा खुलासा
बिलासपुर, बिल्हा थाना क्षेत्र के ग्राम पोड़ी निवासी शिवकुमार घृतलहरे (36 वर्ष) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। प्रारंभ में यह दावा किया गया था कि शिवकुमार की मौत सांप के काटने से हुई है, लेकिन विस्तृत जांच में सामने आया कि उसकी मृत्यु जहरीला पदार्थ सेवन करने से हुई थी और सांप के काटने की कहानी केवल मुआवजा प्राप्त करने के लिए गढ़ी गई थी।
मृतक को 12 नवंबर को तबीयत बिगड़ने, मुंह से झाग निकलने और उल्टी की शिकायत पर बिल्हा सीएचसी ले जाया गया, जहां से उसे सिम्स, बिलासपुर रेफर किया गया। इलाज के दौरान 14 नवंबर को उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के दौरान मृतक के परिजनों ने दावा किया कि उसके बाएं पैर की उंगली में सांप ने काटा था, जिससे उसके पैर में सूजन आ गई थी। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने भी रिपोर्ट में सांप के काटने के निशान बताते हुए मृत्यु का कारण सर्पदंश बताया।
लेकिन जब पुलिस ने मामले की गहराई से जांच की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। शव निरीक्षण के दौरान मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारी ने मृतक के पैर में सांप के काटने का कोई निशान नहीं पाया था। इसके अलावा सिम्स अस्पताल के डॉक्टर ने स्पष्ट किया कि मृतक को शराब और जहरीला पदार्थ सेवन करने के कारण भर्ती किया गया था और उसकी मृत्यु भी उसी से हुई थी।
पुलिस पूछताछ में मृतक के परिजनों ने स्वीकार किया कि स्थानीय वकील कामता प्रसाद साहू ने उन्हें सुझाव दिया था कि यदि सर्पदंश से मृत्यु दिखाई जाए तो शासन से तीन लाख रुपये का मुआवजा मिल सकता है। इसी लालच में परिजनों ने सांप के काटने की झूठी कहानी गढ़ी और डॉक्टर की मिलीभगत से झूठी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करवाई गई।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि मृतक शिवकुमार शराब का आदी था और कर्ज के बोझ से परेशान था, जिससे तंग आकर उसने जहर खा लिया था। उसने यह बात स्वयं परिजनों को बताई थी, लेकिन परिजनों ने मुआवजे के लालच में यह सच्चाई छिपा ली।
इस षड्यंत्र में वकील कामता प्रसाद साहू, सिम्स की डॉक्टर प्रियंका सोनी, मृतक के पिता परागदास घृतलहरे, पत्नी नीता घृतलहरे और भाई हेमंत घृतलहरे शामिल थे। सभी पर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने, झूठी जानकारी देने, और गलत दस्तावेजों के आधार पर मुआवजा प्राप्त करने का प्रयास करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के मार्गदर्शन में चल रही इस जांच में एडिशनल एसपी राजेन्द्र जैसवाल और साइबर सेल प्रभारी अनुज कुमार की अहम भूमिका रही। पुलिस ने कहा है कि मामले की विवेचना जारी है और दोषियों के खिलाफ विधिसम्मत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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