कोटाडबरी गांव में आज शाम उस समय हाहाकार मच गया जब वर्षों पुराना ज़मीन विवाद खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया*

*कोटाडबरी गांव में आज शाम उस समय हाहाकार मच गया जब वर्षों पुराना ज़मीन विवाद खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया*

 

जिला जांजगीर चांपा चांपा के कोटाडबरी गांव में आज शाम उस समय हाहाकार मच गया जब वर्षों पुराना ज़मीन विवाद खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया। इस संघर्ष ने एक घर का चिराग बुझा दिया और दूसरे परिवार को अस्पताल के बिस्तर पर पहुँचा दिया। घटना में 50 वर्षीय शांति पटेल उर्फ गणेश की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि भरत पटेल गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसकी हालत जिला अस्पताल में नाजुक बनी हुई है।

 

*वर्षों पुराना विवाद, टकराव की आग में झुलसा आज का दिन*

 

ग्रामीणों और पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विवादित ज़मीन को लेकर भेष कुमार पटेल और मृतक परिवार के बीच लंबे समय से तनाव था। पंचायत स्तर पर सुलह की कई कोशिशें की गईं, लेकिन कानूनी हल न निकल पाने के चलते दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ता चला गया। आज इसी तनाव ने उग्र रूप धारण कर लिया, जब कहासुनी के बाद मामला हथियारों तक पहुंच गया।

*पुलिस की तत्परता से नहीं फैला अधिक तनाव*

घटना की खबर मिलते ही पुलिस महकमा हरकत में आया। जिला पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश कश्यप, एसडीओपी यडुमणि सिदार और चांपा थाना प्रभारी जेपी गुप्ता ने भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में लिया। ग्रामीणों में फैले भय और आक्रोश को देखते हुए पुलिस ने मौके पर अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है।

*जांच में जुटी पुलिस, पर सवाल गहराते जा रहे हैं*

फिलहाल चांपा पुलिस पूरे मामले की बारीकी से जांच कर रही है। हत्या का आरोपी भेष कुमार पटेल फरार बताया जा रहा है, जिसकी तलाश में पुलिस टीम रवाना हो चुकी है। घटनास्थल से कुछ धारदार हथियार भी बरामद किए गए हैं, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।

*ज़मीनी विवाद बन रहे हैं ग्रामीण इलाकों के लिए काल*

यह घटना केवल एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए चेतावनी है। ग्रामीण क्षेत्रों में ज़मीन संबंधी विवाद दिनोंदिन हिंसक रूप लेते जा रहे हैं। प्रशासन, राजस्व विभाग और पंचायतों को समय रहते मध्यस्थता की प्रक्रिया को सशक्त करना होगा ताकि भविष्य में ऐसे हृदयविदारक हादसे न हों।

अंततः सवाल यह उठता है — कितनी और जानें जाएंगी ज़मीन के नाम पर? क्या अब भी प्रशासन नींद से नहीं जागेगा?

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